- भारत को अब अपना जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) मिल गया है। इसरो ने गुरुवार को श्रीहरिकोटा सेंटर से IRNSS प्रोजेक्ट का आखिरी (7th) नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च किया। नरेंद्र मोदी दिल्ली से ही लॉन्चिंग प्रॉसेस देख रहे थे। उन्होंने इसे मछुआरों को डेडीकेट करते हुए ‘नाविक’ नाम दिया है।
- माना जा रहा है कि नेविगेशन प्रोजेक्ट पूरा होने से हमारी अमेरिका के GPS पर डिपेंडेंसी कम हो जाएगी। भारत अपना जीपीएस रखने वाला दुनिया का 5वां देश बन गया है
- सैटेलाइट की कामयाब लॉन्चिंग के बाद मोदी ने कहा, ”ये आकाश में भारत की एक और लंबी उड़ान है। लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए स्पेस साइंस का रोल अहम है।” ”अब हम अपना रास्ता खुद ही तय करेंगे।
- सात सैटेलाइट छोड़े जाने के बाद अब IRNSS अमेरिकी GPS की तरह काम करेगा। भारत के अलावा यूएस, यूरोपियन यूनियन, चीन और रूस के पास अपना नेविगेशन सिस्टम है। इंडियन नेविगेशन प्रोजेक्ट की कुल कीमत 1420 करोड़ रुपए बताई गई है। IRNSS का पूरा नाम इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है।
- नेविगेशन सिस्टम (नाविक) से शिपिंग और रेलवे को मदद मिलेगी। साथ ही हम कार में भी स्मार्टफोन पर इससे रास्ता खोज पाएंगे। अब समंदर में जाने वाले मछुआरों को अब नाविक मदद देगा। उन्हें चांद-सितारे देखकर रास्ते का अनुमान नहीं लगाना पड़ेगा। इसके अलावा एअरक्राफ्ट की लैंडिंग में भी काफी मदद मिलेगी। नेचुरल डिजास्टर के दौरान कहां और कैसे मदद पहुंचानी है। नेविगेशन सिस्टम से इसमें भी मदद मिलेगी। 1500 वर्ग KM एरिया में अगर कोई इसकी सर्विस लेना चाहता है तो उसे मुहैया कराई जाएगी। सार्क देशों को भी मदद मिलेगी।
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By :- Raman Jaiswal
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Great achievement by ISRO
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