- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होने के बाद पाकिस्तान सरकार का रवैया हिंदुस्तान के लिए आंशिक रूप से ही सही, लेकिन बदला जरूर है. हालांकि दोनों मुल्कों के ‘दोस्ताना’ से पाकिस्तानी सत्ता में दखल रखने वाली वहां सेना खासी नाराज है.
- शायद यही कारण है कि बीते दिनों पाक सेना ने गृह मंत्री को छोड़कर पूरी कैबिनेट को ही अपने हेडक्वार्टर में ‘तलब’ कर लिया. यही नहीं, बीते कुछ समय से सेना का सरकार की पॉलिसी मेकिंग में भी दखल बढ़ गया है.
- रावलपिंडी में मिलिट्री जनरल हेडक्वॉर्टर में कैबिनेट मीटिंग के बाद से पड़ोसी देश में सियासी हालात थोड़े और अस्थिर हो गए हैं. सरकार में सेना का प्रभुत्व भी साफ दिख रहा है. बताया जाता है कि इस मीटिंग में देश की बाहरी सुरक्षा और सिक्योरिटी से जुड़ी नीति निर्माण पर बात हुई. जबकि इसमें गृह मंत्रालय को ही शामिल नहीं किया गया.
- भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता के साथ अमेरिका और वेस्ट एशिया में बढ़ती उनकी दिलचस्पी के बीच पाकिस्तान के भीतर नवाज सरकार को लेकर सवाल उठने लगे हैं. कहा जाने लगा कि नवाज शरीफ की विदेश नीति फेल हो गई है. ऐसी आवाज सेना के भीतर से भी आने लगी है.
- पाकिस्तान मुस्लिम लीग के दिग्गज नेताओं ने अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से कहा कि जब नवाज शरीफ ने सत्ता संभाली थी तो वह पाकिस्तान के नीति निर्माण में सेना की भूमिका को कम करना चाहते थे, लेकिन उन्हें हर कदम पर दवाब का सामना करना पड़ रहा है. इस वजह से सेना प्रमुख राहील शरीफ और नवाज शरीफ के बीच रिश्ते ठीक-ठाक रहे हैं. रावलपिंडी में सेना के साथ पाकिस्तानी कैबिनेट की मीटिंग के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. पर्यवेक्षकों का कहना है कि विदेश मंत्रालय को सेना खुद संभाल सकती है.
#India #Pakistan #Modi #nawaz #Diplomacy #friendship #Army #Military #5ThiingsSomething
By :- Raman Jaiswal
Advertisements